Wednesday 7 October 2009

आओ एक बार



आओ इक बार के फ़िर कोई नदामत ही सही
न खातिर-ए-विसाल फ़कत अयादत ही सही

मुझसे फ़िर बांध कोई अहद-ओ-पैमां "हन्नान"
के भूल जाना तेरी कोई आदत ही सही

तु जो वफ़ाजु ना हुआ तो जफ़ाजु हो क्युंकर
कर मुझे कत्ल के फ़िर कोई शहादत ही सही

देख दिल की जानिब किसी नज़र से सही
दिल जो दिल ना हुआ कोई मलामत ही सही

आ दे मुझे इल्जाम तपाक नज़रों का सही
देख बेपर्दगी से मुझे फ़िर कोई कयामत ही सही

तनकीर वाहिदी "हन्नान"

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