रस्म-ओ-रवायात का नाम है ज़िन्दगी तो चलो यूं ही सही
इक सफ़र का नाम है ज़िन्दगी तो चलो यूं ही सही
वाए नाकामि-ए-शौक के दिल ज़र्फ़ हुआ जाता है कहीन
अपना इश्क हुआ नमरूद की बन्दगी तो चलो यूं ही सही
तेरा नाम मेरे नाम के साथ आ जाये तो कयामत है
अब दिल को भी है शर्मिन्दगी तो चलो यूं ही सही
तेरे साथ जीयें तो कैसे तेरे बिन जियें तो क्युं?
तुने ही बक्शी है ये आवारगी तो चलो यूं ही सही
अपनी फ़ितरत में है उसे पाक नज़रों से चुमना
तुम जो कहते हो दिवानगी तो चलो यूं ही सही
* "आतिशमिज़ाज"
bahut khoob kahaa
ReplyDeleteतेरे साथ जीयें तो कैसे तेरे बिन जियें तो क्युं?
तुने ही बक्शी है ये आवारगी तो चलो यूं ही सही
चलो यूं ही सही...
ReplyDeleteशुभकामनाएं.....
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी